प्रभु 'श्रीकृष्ण' ने गीता में कहा है- लोग जैसा
व्यवहार मेरे साथ करते हैं, मैं भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करता हूं।
(गीता 6/11) जैसे को तैसा यह सृष्टि का नियम है। इसलिए वेद में कहा गया है-
चारों दिशाओं से हमारे पास केवल कल्याणकारी विचार ही आएं। शक्ति का स्रोत
आपकी शक्ति का स्रोत क्या है? आत्म शक्ति? नहीं। यह बहुत अल्प होती है।
जीवन संग्राम से हम सभी को दो-चार होना पडता है। यह संग्राम हम अकेले नहीं
जीत सकते। यहां हमें संगी-साथियों, गुरुजनों, शुभ-चिंतकों की जरूरत पडती
है। ये लोग हमारे अच्छे व्यवहार के कारण ही हर सुख-दुख में हमारा साथ देते
हैं।
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