जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष आकर्षण है. पूरा
विश्व आकर्षण तत्व से बद्ध है. आकर्षण की अनिवार्यता को आज के युग में
अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं है. सभी व्यक्ति के मन में कहीं न कहीं ये
इच्छा ज़रूर होती है की वह आकर्षण से युक्त बने. चेहरे पर एक ऐसा तेज हो
जिससे की दुनिया में सभी व्यक्ति उसको अनुकूलता देने के लिए आतंरिक रूप से
प्रेरित हो. व्यक्ति के शरीर के आस पास एक ऐसा प्रभामंडल का निर्माण हो
जिसके माध्यम से वह सभी व्यक्तियो का प्रिय बने.
हमको हमारा यह देव-दुर्लभ मानव-शरीर एक नियत समय के लिए ही मिला है l नियत समय पूरा होने पर यह हमसे छीन लिया जायेगा और इसके सारे साज-सामान भी यहीं छूट जायेंगे l जब तक जीवन का यह नियत काल पूरा न हो जाये, तभी तक मानव-जीवन का पूरा लाभ उठा लेना चाहिए l
जीवन का सबसे सुन्दर रंग प्रेम है , ये ऐसा रंग है जिस मैं हर कोई रंगना चाहता है , इस मैं जीना चाहता है ! जिस घर मैं प्रेम नहीं है श्रधा नहीं है ,तो फिर वह घर खुशिया नहीं देता ! विशवास प्रेम के धागे मैं बांधे रखता है यदि विशवास टूट गया तो प्रेम के धागे भी टूट जाते हैं .. परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
भयभीत या चिंताग्रस्त होने पर आपकी ऊर्जा खर्च होती है और यह ऊर्जा आपकी अपव्यय है इससे आपकी जीवन शक्ति भी धीरे धीरे ख़तम हो जाती है
याद रखिए श्वास लेना जीवन का प्रतीक है ,और श्वास छोड़ना मृत्यु का सन्देश , इस तरह हम रोज मरते हैं और जीते हैं !
भय ,चिंता ,क्रोध ,लोभ ,भोग ,उपभोग ,शोक ,मोह ,इर्ष्या ये नो चीजें है जो मनुष्य के अन्दर मृत्यु के पाश क़ा कार्य करती है ! इन से सावधान रहो !
अपने को बदलने में विश्वास रखिए, दूसरों से बदला लेने की इच्छा नहीं करें ।
अपने बच्चों को अमीर बनाने का प्रयास मत करो, उन्हें अमीर बनाने की विधी सिखा दो।
हमको हमारा यह देव-दुर्लभ मानव-शरीर एक नियत समय के लिए ही मिला है l नियत समय पूरा होने पर यह हमसे छीन लिया जायेगा और इसके सारे साज-सामान भी यहीं छूट जायेंगे l जब तक जीवन का यह नियत काल पूरा न हो जाये, तभी तक मानव-जीवन का पूरा लाभ उठा लेना चाहिए l
जीवन का सबसे सुन्दर रंग प्रेम है , ये ऐसा रंग है जिस मैं हर कोई रंगना चाहता है , इस मैं जीना चाहता है ! जिस घर मैं प्रेम नहीं है श्रधा नहीं है ,तो फिर वह घर खुशिया नहीं देता ! विशवास प्रेम के धागे मैं बांधे रखता है यदि विशवास टूट गया तो प्रेम के धागे भी टूट जाते हैं .. परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
भयभीत या चिंताग्रस्त होने पर आपकी ऊर्जा खर्च होती है और यह ऊर्जा आपकी अपव्यय है इससे आपकी जीवन शक्ति भी धीरे धीरे ख़तम हो जाती है
याद रखिए श्वास लेना जीवन का प्रतीक है ,और श्वास छोड़ना मृत्यु का सन्देश , इस तरह हम रोज मरते हैं और जीते हैं !
भय ,चिंता ,क्रोध ,लोभ ,भोग ,उपभोग ,शोक ,मोह ,इर्ष्या ये नो चीजें है जो मनुष्य के अन्दर मृत्यु के पाश क़ा कार्य करती है ! इन से सावधान रहो !
अपने को बदलने में विश्वास रखिए, दूसरों से बदला लेने की इच्छा नहीं करें ।
अपने बच्चों को अमीर बनाने का प्रयास मत करो, उन्हें अमीर बनाने की विधी सिखा दो।
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