जहां सभी देवी-देवताओं को हमारे धर्म शास्त्रों
में वस्त्राभूषणों से सुसज्जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ
मृगचर्म ( हिरण की खाल ) लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है। भस्म शिव का
प्रमुख वस्त्र भी यही है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता
है। संतों का भी एक मात्र वस्त्र भस्म ही है। अघोरी, संन्यासी और अन्य साधु
भी अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक
तथा
आध्यामित्क कारण भी हैं।
भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्म, त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है। भस्म धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।
भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्म, त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है। भस्म धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।
No comments:
Post a Comment