हमारे शिवपुराण में कहा गया है कि दयालु मनुष्य,
अभिमानशून्य व्यक्ति, परोपकारी और जितेंद्रीय ये चार पवित्र स्तंभ हैं, जो
इस पृथ्वी को धारण किए हुए हैं। एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, भ्राता एवं
आदर्श राजा- एक वचन, एक पत्नी, एक बाण जैसे व्रतों का निष्ठापूर्वक पालन
करने वाले राम का चरित्र उकेरकर अहिंसा, दया, अध्ययन, सुस्वभाव, इंद्रिय
दमन, मनोनिग्रह जैसे षट्गुणों से युक्त आदर्श चरित्र की स्थापना रामकथा का
मुख्य प्रयोजन है।
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