पश्येम शरदः शतम् ।।१।।
हम सौ शरदों तक देखें, यानी सौ वर्षों तक हमारे आंखों की ज्योति स्पष्ट बनी रहे ।
जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
सौ वर्षों तक हम जीवित रहें ।
बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
सौ वर्षों तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे, हम ज्ञानवान् बने रहे ।
रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
सौ वर्षों तक हम वृद्धि करते रहें, हमारी उन्नति होती रहे ।
पूषेम शरदः शतम् ।।५।।
सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें पोषण मिलता
हम सौ शरदों तक देखें, यानी सौ वर्षों तक हमारे आंखों की ज्योति स्पष्ट बनी रहे ।
जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
सौ वर्षों तक हम जीवित रहें ।
बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
सौ वर्षों तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे, हम ज्ञानवान् बने रहे ।
रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
सौ वर्षों तक हम वृद्धि करते रहें, हमारी उन्नति होती रहे ।
पूषेम शरदः शतम् ।।५।।
सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें पोषण मिलता
रहे ।
भवेम शरदः शतम् ।।६।।
हम सौ वर्षों तक बने रहें ।
भूयेम शरदः शतम् ।।७।।
सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें, कुत्सित भावनाओं से मुक्त रहें ।
भूयसीः शरदः शतात् ।।८।।
सौ वर्षों से भी आगे ये सब कल्याणमय बातें होती रहें ।
(अथर्ववेद, काण्ड १९, सूक्त ६७)
भवेम शरदः शतम् ।।६।।
हम सौ वर्षों तक बने रहें ।
भूयेम शरदः शतम् ।।७।।
सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें, कुत्सित भावनाओं से मुक्त रहें ।
भूयसीः शरदः शतात् ।।८।।
सौ वर्षों से भी आगे ये सब कल्याणमय बातें होती रहें ।
(अथर्ववेद, काण्ड १९, सूक्त ६७)
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