सभी से एक जैसा बर्ताव रखें। जैसे आप हर किसी से सम्मान चाहते हैं, वैसे ही हर कोई आपसे भी अपेक्षा रखता है।संतों ने अहं के त्याग की बात कही, खुद को
भुलाने की बात कही। अगर हमारे मन में अपनी कोई छवि ही नहीं होगी तो हम
दूसरों को भी किसी सांचे में ढालने की कोशिश नहीं करेंगे। इस तरह किसी की
उम्मीद नहीं टूटेगी और विरोधी विचारों का भी आदर होगा।
यदि सामने वाला आपको अपेक्षा के अनुरूप उत्तर न दे, तो यह कतई न समझे कि वह गलत है। उसके पीछे भी कोई न कोई कारण हो सकता है । आप उस उत्तर को सुनें और समझने की कोशिश करें। लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर न सुनें ।
यदि सामने वाला आपको अपेक्षा के अनुरूप उत्तर न दे, तो यह कतई न समझे कि वह गलत है। उसके पीछे भी कोई न कोई कारण हो सकता है । आप उस उत्तर को सुनें और समझने की कोशिश करें। लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर न सुनें ।
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