आप भी इसे भी आजमा कर देख सकते यदि गंभीर स्थिति न हो तो और लाभ उठा सकते हैं.:-
ह्रदय रोग में-गेहूं की भूसी को अर्जुन की छाल क़े साथ बराबर की मात्रा में चूर्ण बनाकर घी में भून लें । फिर इस मात्रा का तीन गुना शहद मिला कर रख लें.यह अवलेह छै ग्रामसे दस ग्रा.की मात्रा तक गाय क़े दूध में सेवन करें और भयंकर से भयंकर ह्रदय रोग को दूर भगा कर निश्चिन्त हो जाएँ ।
दुबलेपन में-प्रातः सायं तीन-तीनग्रा.हल्दी क़े चूर्ण को गोदुग्ध क़े साथ सेवन करने से शरीर मोटा हो जाता है ।
ताकत क़े लिये -पचास ग्रा.चने की दाल को १०० ग्रा.दूध में रात्रि को भिगो दें । प्रातः काल इस फूली हुई दाल को चबा-चबा कर खाएं,उसके साथ किशमिश या गुड का प्रयोग करें.कम से कम चालीस दिन प्रयोग करने से ताकत बढ़ती है ।
नकसीर में-छै ग्रा.फिटकरी को ५० ग्रा.पानी में घोल कर नाक में टपकायें अथवा रुई का फाहा तः करके नाक में लगा दें.इसी पानी में कपडा तः करके माथे पर रखें,नकसीर तुरन्त बन्द हो जायेगी ।
नशा-नाशक -आंवले क़े पत्ते १०० ग्रा.लेकर ४०० ग्रा.पानी में ठंडाई की भांति पीस कर पिलाने से अफीम तक का विष दूर हो जाता है ।
निमोनिया में-अदरक अथवा तुलसी क़े पत्तों का रस ६ ग्रा.,शहद ६ ग्रा.दोनों को मिलाकर दिन में दो-तीन बार दें.इस प्रयोग से बिना किसी इंजेक्शन प्रयोग क़े खांसी,बलगम,दर्द आदि ठीक हो जाते हैं ।
पथरी में-पेठे क़े १०० ग्रा.रस में भवछार(जवाखार)३ ग्रा.तथा पुराना गुड २ ग्रा.मिलाकर पिलाने से कुछ ही दिन में हर प्रकार की पथरी नष्ट हो जाती है ।
बदहजमी में-खाने का सोडा ,सोंठ ,काली मिर्च,छोटी पीपल और नौसादर समान मात्रा में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बना लें.डेढ़ ग्रा.दावा दिन में तीन बार पानी से खिलाएं.बदहजमी समाप्त होगी ।
बाल काले करना-सूखे हुए आंवले को बारीक पीस लें,फिर नींबू का रस डालकर पीसें.इसे सिर में लगा दें.जब सूख जाये तो सिर को पानी से ढो लें.धन रखें सिर को दही से बिलकुल न धोयें.नारियल का तेल सिर में लगायें.बालों की सफेदी दूर होकर बाल काले,मुलायम और चमकदार हो जाते हैं ।
कुत्ता काटने पर-देसी साबुन और शहद दोनों को समान मात्रा में मिलाकर इतना रगड़ें कि,मरहम बन जाये.इसे कुत्ते क़े काटे हुए घाव पर लगायें तत्काल फायदा होगा ।
गंजापन दूर करें-पत्ता गोभी क़े रस को लगातार सिर पर मालिश करें तो गंजापन ,बाल ज्घरना,बाल गिरना आदि रोग दूर हो जाते हैं ।
सांप का विष उतारें-सांप द्वारा काटने पर एक घंटे क़े भीतर नीला थोथा (तूतिया)लें और तवे पर भून कर मुनक्का में रख कर निगलवा दें तो सांप का विष समाप्त होगा ।
हिचकी में-कलौंजी (मगरैला) का चूर्ण ३ ग्रा. लेकर १० ग्रा. ताज़ा मक्खन में मिलाकर खिलने से हिचकी दूर हो जाती है ।
मलेरिया - बुखार में-१० ग्रा. दालचीनी का चूर्ण लें उसमें ढाई ग्रा. आक का दूध मिलाकर खुश्क करें.रोगी को एक ग्रेन (आधी रत्ती )दावा पानी क़े साथ दें.यह दावा कुनैन से ज्यादा प्रभाव कारी है ।
दस्त में -सौंफ और सफ़ेद जीरा समान मात्रा में लें और तवे पर भून लें.फिर बारीक पीस कर ३ -३ ग्रा.दिन में दो -तीन बार तजा पानी से खिलाएं.यह सरल ,सस्ता और चमत्कारी इलाज है ।
उल्टी में- नींबू पर नामक और काली मिर्च लगा कर चूसने से उल्टी में लाभ होता है ।
राम-बाण औषद्धि:-
साफ़ सिल-बट्टा लें,जिस पर मसाला न पीसा गया हो.इस पर २५ से ५० तक तुलसी क़े पत्ते खरल कर लें । ऐसे पिसे हुए पत्ते ६ से १० ग्रा. तक लें और ताजा दही अथवा शहद में मिलाकर खिलावें (दूध में भूल कर भी न दें) । यह दवा प्रातः निराहार एक ही बार लें और तीन -चार मांस तक सेवन करें तो गठिया का दर्द, खांसी, सर्दी, जुकाम, गुर्दे की बीमारी, गुर्दे का काम न करना, गुर्दे की पथरी, सफ़ेद दाग का कोढ़, शरीर का मोटापा, वृद्धावस्था की दुर्बलता, पेचिश, अम्लता, मन्दाग्नी, कब्ज, गैस, दिमागी कमजोरी, याददाश्त में कमी, पुराने से पुराना सिर-दर्द, हाई एवं लो ब्लड-प्रेशर, हृदयरोग, शरीर की झुर्रियां, बिवाई और श्वास रोग दूर हो जाते हैं । विटामिन , 'ए'और 'सी'की कमी दूर होती है, रुका हुआ रक्तस्त्राव ठीक हो जाता है, आँख आने और दुखने तथा खसरा निवारण में यह राम-बाण औषद्धि है । उपरोक्त नुस्खे आयुर्वेदिक पद्धति क़े अनुसार हैं तथा प्रत्येक घर-परिवार में उपलब्ध अन्न व मसालों पर आधारित हैं.इनका कोई साइड-इफेक्ट या रिएक्शन नहीं होता है.आपके व आपके सम्पूर्ण परिवार क़े लिये मंगल-कामनाओं क़े साथ इन्हें प्रस्तुत किया गया है ।
आवश्यकता अनुसार योग्य चिकित्सक से परामर्श लेवें ।
ह्रदय रोग में-गेहूं की भूसी को अर्जुन की छाल क़े साथ बराबर की मात्रा में चूर्ण बनाकर घी में भून लें । फिर इस मात्रा का तीन गुना शहद मिला कर रख लें.यह अवलेह छै ग्रामसे दस ग्रा.की मात्रा तक गाय क़े दूध में सेवन करें और भयंकर से भयंकर ह्रदय रोग को दूर भगा कर निश्चिन्त हो जाएँ ।
दुबलेपन में-प्रातः सायं तीन-तीनग्रा.हल्दी क़े चूर्ण को गोदुग्ध क़े साथ सेवन करने से शरीर मोटा हो जाता है ।
ताकत क़े लिये -पचास ग्रा.चने की दाल को १०० ग्रा.दूध में रात्रि को भिगो दें । प्रातः काल इस फूली हुई दाल को चबा-चबा कर खाएं,उसके साथ किशमिश या गुड का प्रयोग करें.कम से कम चालीस दिन प्रयोग करने से ताकत बढ़ती है ।
नकसीर में-छै ग्रा.फिटकरी को ५० ग्रा.पानी में घोल कर नाक में टपकायें अथवा रुई का फाहा तः करके नाक में लगा दें.इसी पानी में कपडा तः करके माथे पर रखें,नकसीर तुरन्त बन्द हो जायेगी ।
नशा-नाशक -आंवले क़े पत्ते १०० ग्रा.लेकर ४०० ग्रा.पानी में ठंडाई की भांति पीस कर पिलाने से अफीम तक का विष दूर हो जाता है ।
निमोनिया में-अदरक अथवा तुलसी क़े पत्तों का रस ६ ग्रा.,शहद ६ ग्रा.दोनों को मिलाकर दिन में दो-तीन बार दें.इस प्रयोग से बिना किसी इंजेक्शन प्रयोग क़े खांसी,बलगम,दर्द आदि ठीक हो जाते हैं ।
पथरी में-पेठे क़े १०० ग्रा.रस में भवछार(जवाखार)३ ग्रा.तथा पुराना गुड २ ग्रा.मिलाकर पिलाने से कुछ ही दिन में हर प्रकार की पथरी नष्ट हो जाती है ।
बदहजमी में-खाने का सोडा ,सोंठ ,काली मिर्च,छोटी पीपल और नौसादर समान मात्रा में लेकर कूट-पीस कर चूर्ण बना लें.डेढ़ ग्रा.दावा दिन में तीन बार पानी से खिलाएं.बदहजमी समाप्त होगी ।
बाल काले करना-सूखे हुए आंवले को बारीक पीस लें,फिर नींबू का रस डालकर पीसें.इसे सिर में लगा दें.जब सूख जाये तो सिर को पानी से ढो लें.धन रखें सिर को दही से बिलकुल न धोयें.नारियल का तेल सिर में लगायें.बालों की सफेदी दूर होकर बाल काले,मुलायम और चमकदार हो जाते हैं ।
कुत्ता काटने पर-देसी साबुन और शहद दोनों को समान मात्रा में मिलाकर इतना रगड़ें कि,मरहम बन जाये.इसे कुत्ते क़े काटे हुए घाव पर लगायें तत्काल फायदा होगा ।
गंजापन दूर करें-पत्ता गोभी क़े रस को लगातार सिर पर मालिश करें तो गंजापन ,बाल ज्घरना,बाल गिरना आदि रोग दूर हो जाते हैं ।
सांप का विष उतारें-सांप द्वारा काटने पर एक घंटे क़े भीतर नीला थोथा (तूतिया)लें और तवे पर भून कर मुनक्का में रख कर निगलवा दें तो सांप का विष समाप्त होगा ।
हिचकी में-कलौंजी (मगरैला) का चूर्ण ३ ग्रा. लेकर १० ग्रा. ताज़ा मक्खन में मिलाकर खिलने से हिचकी दूर हो जाती है ।
मलेरिया - बुखार में-१० ग्रा. दालचीनी का चूर्ण लें उसमें ढाई ग्रा. आक का दूध मिलाकर खुश्क करें.रोगी को एक ग्रेन (आधी रत्ती )दावा पानी क़े साथ दें.यह दावा कुनैन से ज्यादा प्रभाव कारी है ।
दस्त में -सौंफ और सफ़ेद जीरा समान मात्रा में लें और तवे पर भून लें.फिर बारीक पीस कर ३ -३ ग्रा.दिन में दो -तीन बार तजा पानी से खिलाएं.यह सरल ,सस्ता और चमत्कारी इलाज है ।
उल्टी में- नींबू पर नामक और काली मिर्च लगा कर चूसने से उल्टी में लाभ होता है ।
राम-बाण औषद्धि:-
साफ़ सिल-बट्टा लें,जिस पर मसाला न पीसा गया हो.इस पर २५ से ५० तक तुलसी क़े पत्ते खरल कर लें । ऐसे पिसे हुए पत्ते ६ से १० ग्रा. तक लें और ताजा दही अथवा शहद में मिलाकर खिलावें (दूध में भूल कर भी न दें) । यह दवा प्रातः निराहार एक ही बार लें और तीन -चार मांस तक सेवन करें तो गठिया का दर्द, खांसी, सर्दी, जुकाम, गुर्दे की बीमारी, गुर्दे का काम न करना, गुर्दे की पथरी, सफ़ेद दाग का कोढ़, शरीर का मोटापा, वृद्धावस्था की दुर्बलता, पेचिश, अम्लता, मन्दाग्नी, कब्ज, गैस, दिमागी कमजोरी, याददाश्त में कमी, पुराने से पुराना सिर-दर्द, हाई एवं लो ब्लड-प्रेशर, हृदयरोग, शरीर की झुर्रियां, बिवाई और श्वास रोग दूर हो जाते हैं । विटामिन , 'ए'और 'सी'की कमी दूर होती है, रुका हुआ रक्तस्त्राव ठीक हो जाता है, आँख आने और दुखने तथा खसरा निवारण में यह राम-बाण औषद्धि है । उपरोक्त नुस्खे आयुर्वेदिक पद्धति क़े अनुसार हैं तथा प्रत्येक घर-परिवार में उपलब्ध अन्न व मसालों पर आधारित हैं.इनका कोई साइड-इफेक्ट या रिएक्शन नहीं होता है.आपके व आपके सम्पूर्ण परिवार क़े लिये मंगल-कामनाओं क़े साथ इन्हें प्रस्तुत किया गया है ।
आवश्यकता अनुसार योग्य चिकित्सक से परामर्श लेवें ।
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