आप सभी जानते हैं की सनातन धर्म कोई नाम नहीं है
, यह तो केवल यह बताता है कि धर्म सदा से था । मनुष्य का शाश्वत व सनातन
धर्म जो है , उसे सनातन धर्म कहा जाता है । हम हिंदुओं को अपने धर्म का नाम
रखने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई । इसका कारण है , नाम की आवश्यकता कब
महसूस होती है , जब किसी दूसरे की उपस्थिति हो , जब कोई दूसरा हो ही नहीं
तो नाम अनावश्यक हो जाता है । एक से अधिक लोग हों तो नाम आवश्यक हो जाता है
, नहीं तो किसी को पुकारेंगे कैसे ? एक बात और ध्यान में लेना चाहिये कि
नाम हमेशा दूसरे के ही द्वारा दिया जाता है , तो ऐसे ही 'हिंदू' नाम अन्य
लोगों के द्वारा ही दिया गया है । जिस किसी के द्वारा हिंदू नाम दिया गया
हो , लेकिन यह नाम उन लोगों को दिया गया , जो सनातन धर्म का पालन कर रहे थे
। आज विश्व में जो भी हिंदू नाम से जाने जाते हैं, वो वही सनातन धर्मीय
हैं ।
हमारा सनातन धर्म सिर्फ आपको सत्य ही नहीं बताता है बल्कि सत्य का साक्षात्कार कैसे किया जाए यह भी बताता है । इस धर्म में ऐसी विधियाँ हैं जो आधुनिक मनुष्य के तनावग्रस्त मन को शांति प्रदान करती हैं । योग और तंत्र में सैकड़ों विधियाँ हैं जो किसी भी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक हैं । हिंदुत्व का पूरा जोर ही आत्मज्ञान पर है । हिंदुत्व की मान्यता है, जो सच भी है कि हर मनुष्य जन्मतः आत्मज्ञानी है ही, बस वो इस बात को भूल गया है । इसीलिए अध्यात्म का सारा जोर इसी पर है कि व्यक्ति अपनी मूर्छा से जगे और जान ले कि वह शुद्ध और बुद्ध है । हिंदुत्व अपने पराये का भेदभाव नहीं करता है, वह तो सारे विश्व को ही एक परिवार समझता है । कोई इस धर्म को नहीं भी मानता है तो उसके प्रति किसी भी तरह का क्लेश नहीं रखता है ।
हमारा सनातन धर्म सिर्फ आपको सत्य ही नहीं बताता है बल्कि सत्य का साक्षात्कार कैसे किया जाए यह भी बताता है । इस धर्म में ऐसी विधियाँ हैं जो आधुनिक मनुष्य के तनावग्रस्त मन को शांति प्रदान करती हैं । योग और तंत्र में सैकड़ों विधियाँ हैं जो किसी भी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक हैं । हिंदुत्व का पूरा जोर ही आत्मज्ञान पर है । हिंदुत्व की मान्यता है, जो सच भी है कि हर मनुष्य जन्मतः आत्मज्ञानी है ही, बस वो इस बात को भूल गया है । इसीलिए अध्यात्म का सारा जोर इसी पर है कि व्यक्ति अपनी मूर्छा से जगे और जान ले कि वह शुद्ध और बुद्ध है । हिंदुत्व अपने पराये का भेदभाव नहीं करता है, वह तो सारे विश्व को ही एक परिवार समझता है । कोई इस धर्म को नहीं भी मानता है तो उसके प्रति किसी भी तरह का क्लेश नहीं रखता है ।
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