संस्कृत के जानकार , मैक्समूलर, जिन्होंने शायद
सबसे पहले वेदों का परिचय यूरोप को करवाया । एक बार मैक्समूलर हिंदुत्व के
ऊपर यूरोप में कहीं व्याख्यान दे रहे थे । अब हिंदू दर्शन तो है ही उच्चतम
स्तर का.तो एक बिशप ने उनसे प्रश्न किया कि जब हिंदू दर्शन इतना उच्च कोटि
का है तो हिंदू अन्य देशों में इसका प्रचार क्यों नहीं करते ? मैक्समूलर का
उत्तर अद्भुत था पाश्चात्य लोगों के लिए । उन्होंने कहा कि हिंदू धर
्म
को अपनी माँ समझते हैं और माँ का प्रचार करना उन्हें सही नहीं लगता है ।
हम देखते हैं कि अब्राहमिक पंथों के दर्शन हिंदू दर्शन के सामने ज्यादा
महत्त्व के नहीं हैं लेकिन उनका प्रचार प्रसार ज्यादा हुआ है । हमारे ही
देश में अब सनातन धर्म का ह्रास होने लगा है क्योंकि हमारे मस्तिष्क में
पाश्चात्य परिवेश का पूर्ण प्रभाव है ।
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