इस जग में साधु कौन है? वह मनुष्य, जिसके साथ
रहने से तुम्हारी नैतिकता, तुम्हारे पुण्यों का मान बढ़ता है और जो तुम्हें
आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ाता है, वह तुम्हारे लिए साधु है। इसलिए तुम्हें
अच्छे लोगों के संसर्ग में रहकर 24 घंटों पुण्य कर्म करना चाहिए। अच्छे
कर्म तभी संभव हैं, जब तुम समाज की नि:स्वार्थ सेवा और अनवरत
मानसाध्यात्मिक सेवा करते चलोगे। तभी पुण्य कर्म संभव है।
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