हमारे दो तरह के रिश्ते होते हैं । एक तो वो जो
हमारे पैदा होते ही बन जाते हैं और दूसरा वो जो हम खुद बनाते है । जिसे हम
बंधुत्व कहते हैं । विरासत मे मिले हुए रिश्ते तो कभी-कभी धोखा दे जाते हैं
। लेकिन खुद का बनाया हुआ बंधुत्व का रिश्ता जीवन भर साथ निभाता है । यह
रिश्ता जीवन भर अटूट बना रहता है जब तक इसमें हमारा स्वार्थ , अहंकार और
अविश्वास की भावना न हो ।
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