प्रातः स्मरणीय श्री गोस्वामी तुलसी दास जी ने श्री राम चरित मानस में लिखा है :-
* कर्म प्रधान विश्व करि राखा , जो जस करा सो तस फल चाखा *
हमें अपने कर्तव्य को समझना होगा। हमें अपने दायित्व को समझना होगा। परिवार , समाज और अपने राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को निभाना होगा। दुनिया में करने को इतना कुछ है। समाज में व्याप्त ग़रीबी , भुखमरी , बीमारी , भ्रष्टाचार , बेईमानी , चोरी , लूटमार , हिंसा , व्याभिचार के खिलाफ संघर्ष करने का क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता है। मानव मात्र का दुख दूर करना भगवान की सबसे बड़ी सेवा है। भगवान भी अपेक्षा रखते हैं कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होनें सृष्टि का निर्माण किया , जिस उदेश्य की पूर्ति के लिए हमें इस धरती पर भेजा , हम उसका निर्वाह करें।
* कर्म प्रधान विश्व करि राखा , जो जस करा सो तस फल चाखा *
हमें अपने कर्तव्य को समझना होगा। हमें अपने दायित्व को समझना होगा। परिवार , समाज और अपने राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को निभाना होगा। दुनिया में करने को इतना कुछ है। समाज में व्याप्त ग़रीबी , भुखमरी , बीमारी , भ्रष्टाचार , बेईमानी , चोरी , लूटमार , हिंसा , व्याभिचार के खिलाफ संघर्ष करने का क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता है। मानव मात्र का दुख दूर करना भगवान की सबसे बड़ी सेवा है। भगवान भी अपेक्षा रखते हैं कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होनें सृष्टि का निर्माण किया , जिस उदेश्य की पूर्ति के लिए हमें इस धरती पर भेजा , हम उसका निर्वाह करें।
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