Wednesday, October 10, 2012

इस आर्थिक युग में भौतिक सुखों की अधिक इच्छा के कारण व्यक्ति अशांत रहता है। अति योगवाद ( भौतिक सामग्रियों ) स्वच्छंद और अनियंत्रित भोगवाद के कारण स्वस्थ समाज का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसके लिए हर मनुष्य को अनुशासित व संस्कारित होना होगा, तभी वह समाज व सृष्टि के लिए उपयोगी होगा और व्यक्ति को संस्कारित करना ही अध्यात्म का काम है।

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