Wednesday, October 10, 2012

हर देश और धर्म में चार तरह के लोग मिल जाएंगे-

1. पहले वे जो ज्ञान, विज्ञान और धर्म में रुचि रखते हैं और सत्य आचरण करते हैं। पहले किस्म के लोग जरूरी नहीं है कि धर्म-कर्म में रुचि रखने वाले ही हों। वे साहित्य और सृजन के किसी भी क्षेत्र में रुचि रखने वाले हो सकते हैं।

ब्राह्मणत्व से तात्पर्य है जो ब्रह्म में विश्वास रखते हुए श्रेष्ठ चिन्तन व श्रेष्ठ कर्म का हो। दलित, आदिवासी आदि समाज के लोगों में ब्राह्मण मिलते हैं।


2. दूसरे वे जो राजनीति और शक्ति के कार्य में रुचि रखते हैं। दूसरे किस्म के लोग जरूरी नहीं है कि राजनीति में ही रुचि रखने वाले हों। वे अच्‍छे सैनिक, खिलाड़ी, प्रबंधक और पराकर्म दर्शाने वाले सभी कर्म में रुचि रखने वालों में भी हो सकते हैं।

3. तीसरे वे जो उद्योग-व्यापार में रुचि रखकर सभी के हित के लिए कार्य करते हैं। तीसरे किस्म के लोग व्यापारी के अलावा श्रेष्ठ किस्म के व्यवस्थापक, अर्थ के ज्ञाता, बैंक या वित्त विभाग को संभालने वाले आदि हो सकते हैं।

4. चौथे किस्म के वे लोग जो किसी भी कार्य में रुचि नहीं रखते। जो रा‍क्षसी कर्म में ही रुचि रखते हैं अर्थात जिनकी दिनचर्या में शामिल होता है खाना, पीना, संभोग करना और सो जाना।चौथे किस्म के लोग जरूरी नहीं है कि पशुवत या राक्षसी जीवन जीने वाले लोग ही हों, वे अपराधी और हर समय बुरा ही सोचने, बोलने और करने वाले लोग भी हो सकते हैं। वे मूढ़ किस्म के लोग होते हैं। ऐसे लोग पढ़े लिखे भी हो सकते हैं और अनपढ़ भी ।

शूद्र निशाचरी, राक्षसी और अप्रमादी कर्म करने वाले को कहते हैं । शूद्रत्व से अर्थ है ब्रह्म को छोड़कर अन्य में मन रमाने वाला निकृष्ट चिंतन व निकृष्ट कर्म करने वाला।

साभार : वेबदुनिया

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