Sunday, September 30, 2012

हमारे दो तरह के रिश्ते होते हैं । एक तो वो जो हमारे पैदा होते ही बन जाते हैं और दूसरा वो जो हम खुद बनाते है । जिसे हम बंधुत्व कहते हैं । विरासत मे मिले हुए रिश्ते तो कभी-कभी धोखा दे जाते हैं । लेकिन खुद का बनाया हुआ बंधुत्व का रिश्ता जीवन भर साथ निभाता है । यह रिश्ता जीवन भर अटूट बना रहता है जब तक इसमें हमारा स्वार्थ , अहंकार और अविश्वास की भावना न हो ।

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