Sunday, September 30, 2012

सोये हुए इंसान को जगाया जा सकता है, पर जो जागते हुए सो रहा है उसे कोई नहीं जगा सकता । उसी प्रकार जो अपनी जानकारी का स्वयं आदर नहीं करता और प्राप्त बल का सदुपयोग नहीं करता, उसकी कोई भी सहायता नहीं कर सकता । क्योंकि प्राकृतिक नियम के अनुसार विवेक के अनादर से अविवेक की और बल के दरुपयोग से निर्बलता की ही वृद्धि होती है। ज्यों-ज्यों प्राणी विवेक का अनादर तथा बल का दुरूपयोग करता जाता है, त्यों-त्यों विवेक में धुंधलापन और निर्बलता उत्तरोतर बढती ही रहती है। यहाँ तक की विवेकयुक्त जीवन छिन्न-भिन्न हो जाता है और प्राणी साधन करने के योग्य नहीं रहता।

No comments:

Post a Comment