.
मुख्य पृष्ठ
जीवन मंत्र
ब्रह्म चैतन्य
श्रीमद्भगवद्गीता
अनमोल वचन
अभिमान न करे
रस रंग
सुस्वागतम
widget
Thursday, July 19, 2012
बल
समस्त जातियों को , सकल मतों को , भिन्न भिन्न संप्रदाय के दुर्बल , दुखी , पददलित , लोगों को स्वयं अपने पैरों खड़े होकर मुक्त होने के लिए वे उच्च स्वर में उद्घोष कर रहें हैं
। मुक्ति अथवा स्वाधीनता , अध्यात्मिक स्वाधीनता यही उपनिषदों के मूल मंत्र हैं
।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment