Thursday, July 19, 2012

बल

समस्त जातियों को , सकल मतों को , भिन्न भिन्न संप्रदाय के दुर्बल , दुखी , पददलित , लोगों को स्वयं अपने पैरों खड़े होकर मुक्त होने के लिए वे उच्च स्वर में उद्घोष कर रहें हैं । मुक्ति अथवा स्वाधीनता , अध्यात्मिक स्वाधीनता यही उपनिषदों के मूल मंत्र हैं

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