क्या भारत मर जायेगा ? तब तो संसार से सारी आध्यात्मिकता का समूल नाश हो जायेगा , सारे सदाचारपूर्ण आदर्श जीवन का विनाश हो जायेगा , धर्मों के प्रति सारी मधुर सहानुभूति नष्ट हो जायेगी और उसके स्थान पर कामरूपी देव और विलासितारूपी देवी राज्य करेगी । धन उसका पुरोहित होगा । प्रतारणा , पाश्विक बल और प्रतिद्वंदिता , ये ही उनकी पूजा पद्धति होगी और मानवात्मा उनकी बलि सामग्री हो जायेगी । ऐसी दुर्घटना कभी हो नहीं सकती । क्रियाशक्ति की अपेक्षा सहनशक्ति कई गुना बड़ी होती है । प्रेम का बल घृणा के बल की अपेक्षा अनंत गुना अधिक है ।
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