यदि आत्मा के जीवन में मुझे आनंद नहीं मिलता , तो क्या मैं इन्द्रियों के जीवन में आनंद पाऊंगा ? यदि मुझे अमृत नहीं मिलता , तो क्या मैं गड्ढे के पानी से प्यास बुझाऊंगा ? सुख आदमी के सामने आता है , तो दुःख का मुकुट पहन कर । जो उसका स्वागत करता है , उसे दुःख का भी स्वागत करना चाहिए ।
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