* ईर्ष्या तथा अहंभाव को दूर कर दो । संगठित होकर दूसरों के लिए कार्य करना सीखो । हमारे देश में इसकी बहुत बड़ी आवश्यकता है ।
* बड़े बड़े काम बिना बड़े स्वार्थ त्याग के नहीं हो सकता ।
*यह जीवन क्षणस्थायी है, संसार के भोग विलास की सामग्रियाँ भी क्षणभंगुर है । वे ही यथार्थ में जीवित हैं, जो दूसरों के लिए जीवन धारण करतें हैं ।बाकी लोगों का जीना तो मरने ही के बराबर है ।
* यदि आवश्यकता हो, तो सार्वजनिनता के भाव की रक्षा के लिए सब कुछ छोड़ना होगा ।
* बड़े बड़े काम बिना बड़े स्वार्थ त्याग के नहीं हो सकता ।
*यह जीवन क्षणस्थायी है, संसार के भोग विलास की सामग्रियाँ भी क्षणभंगुर है । वे ही यथार्थ में जीवित हैं, जो दूसरों के लिए जीवन धारण करतें हैं ।बाकी लोगों का जीना तो मरने ही के बराबर है ।
* यदि आवश्यकता हो, तो सार्वजनिनता के भाव की रक्षा के लिए सब कुछ छोड़ना होगा ।
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