Saturday, July 14, 2012

दाता

संसार में सर्वदा दाता का आसन ग्रहण करा । सर्वस्य दे दो , पर बदले में कुछ न चाहो । प्रेम दो , सहायता दो सेवा दो , इनमें से जो तुम्हारे पास देने के लिए है , दे डालो । उनके बदले में कुछ लेने की इच्छा कभी न करो । किसी तरह की कोई शर्त मत रखो । ऐसा करने पर तुम्हारे लिए भी कोई किसी तरह की शर्त नहीं रखेगा । अपनी हार्दिक दानशीलता के कारण ही हम देते चलें ।ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार ईश्वर हमें देता है

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