हमारे दो हाथ हैं, हमारा सिर
भी है, हमारे पैर भी हैं। जब हमारे हाथों में कोई दर्द नहीं होता, कोई
खुजली नहीं होती, मतलब कि हाथ सामान्य अवस्था में होते हैं। तब हम क्या
अनुभव करते हो? कुछ नहीं जैसे हाथ हैं ही नहीं। पर होते हैं- अंग्रेजी में
इस दशा को कहते हैं, 'नल पॉइंट', यानी जीरो या शून्य अवस्था !
उस 'शून्य' का अनुभव जो सारी सृष्टि में व्याप्त है। उस सृष्टि में भी है, जिस सृष्टि का मनुष्य को कुछ पता नहीं है, वहां भी है यह। समय के आखिरी छोर तक है और समय से पहले भी है। वह हर एक जगह है।
जब हमें इस शून्य का अनुभव होगा, तो उसके बाद हमारे आस-पास कितना भी दुख क्यों न हो, उस दुख के बावजूद अपने अंदर परमानंद का अनुभव करेंगें।
उस 'शून्य' का अनुभव जो सारी सृष्टि में व्याप्त है। उस सृष्टि में भी है, जिस सृष्टि का मनुष्य को कुछ पता नहीं है, वहां भी है यह। समय के आखिरी छोर तक है और समय से पहले भी है। वह हर एक जगह है।
जब हमें इस शून्य का अनुभव होगा, तो उसके बाद हमारे आस-पास कितना भी दुख क्यों न हो, उस दुख के बावजूद अपने अंदर परमानंद का अनुभव करेंगें।
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