अक्सर लोग कहते हैं हम अकेलापन महसूस करते हैं। मैं कहता हूं कि तुम्हें अकेलापन महसूस करने की क्या जरूरत है? तुम जहां भी जाओ, तुम्हारा परमपिता परमेश्वर, तुम्हारा परम मित्र तुम्हारे साथ है। तुम्हें वह कभी अकेला छोड़ता ही नहीं है। जिस दिन वह साथ छोड़ देगा, बस, सब गया। वह तो आखिरी समय तक तुम्हारे साथ रहेगा। उससे बंधुत्व करो। वह जो अनुभव है, चाहे थोड़ी देर ही रहे, परंतु आनंददायक होता है।
जिस किसी ने परमात्मा के साथ कुछ क्षण बिताए हैं, उसने इस शरीर में रहते हुए खुद के भी अविनाशी होने का अनुभव किया है। जब मनुष्य अविनाशी होने का अनुभव करता है, तो फिर न कल है, न परसों। न ऊपर है, न नीचे है। न आशा है, न निराशा है। सब सम हो जाता है। समय रुक जाता है। यही है असली शांति का अनुभव।
जिस किसी ने परमात्मा के साथ कुछ क्षण बिताए हैं, उसने इस शरीर में रहते हुए खुद के भी अविनाशी होने का अनुभव किया है। जब मनुष्य अविनाशी होने का अनुभव करता है, तो फिर न कल है, न परसों। न ऊपर है, न नीचे है। न आशा है, न निराशा है। सब सम हो जाता है। समय रुक जाता है। यही है असली शांति का अनुभव।
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