Sunday, December 8, 2013

जल का अस्थाई रूप बर्फ है, बर्फ जल में परिणित होती ही है। जल भी अस्थाई रूप है, वह भाप बनता है। रूप बदला करते हैं, अरूप जस का तस रहता है। रूप देखा जाता है, अरूप का दर्शन होता है। जाहिर है कि दर्शन का मतलब सिर्फ देखना नहीं होता। दर्शन आत्मिक अनुभूति है।

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