जब भी
समय मिले मौन हो जाओ । मन को शांत करने के लिए मौन से अच्छा और कोई दूसरा
रास्ता नहीं । जब भी मौन रहें एवं इस दौरान सिर्फ श्वासों के आवागमन को ही
महसूस करते हुए उसका आनंद लें। अपने श्वासों के आवागमन पर ध्यान लगाए रखें
और सामने जो भी दिखाई या सुनाई दे रहा है उसे उसी तरह देंखे जैसे कोई शेर
सिंहावलोकन करता है। पिछले कई वर्षों से जो व्यर्थ की बहस करते रहे हों।
वही बातें बार-बार सोचते और दोहराता रहते हो जो कई वर्षों के क्रम में
सोचते और दोहराते रहे। क्या मिला उन बहसों से और सोच के अंतहिन दोहराव से ?
मानसिक ताप, चिंता और ब्लड प्रेशर की शिकायत या डॉयबिटीज का डाँवाडोल
होना। अतः 'मन को मौत' की सजा दो ।
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