मजदूरों के पलायन
की बुनियाद एवं रोकथाम -
इस लॉकडाउन काल में जो बात मुझे सर्वाधिक मर्माहत की है वह है ; मजदूरों का रेलपटरी पर सोते हुए मालगाड़ी से कटना तथा हजारों किलोमीटर अपने गाँव वापस लौटने के लिए पैदल चलना और अनेक मुसीबतों जैसे भूख प्यास इत्यादि का सामना करना । यह ऐसी सच्चाई है जिस पर बहुत कम लोगों का ध्यान पूर्व में गया होगा । मेरी नजर में मजदूरों का पलायन की जो मुख्य वजह समझ आती है , वह है :-
इस लॉकडाउन काल में जो बात मुझे सर्वाधिक मर्माहत की है वह है ; मजदूरों का रेलपटरी पर सोते हुए मालगाड़ी से कटना तथा हजारों किलोमीटर अपने गाँव वापस लौटने के लिए पैदल चलना और अनेक मुसीबतों जैसे भूख प्यास इत्यादि का सामना करना । यह ऐसी सच्चाई है जिस पर बहुत कम लोगों का ध्यान पूर्व में गया होगा । मेरी नजर में मजदूरों का पलायन की जो मुख्य वजह समझ आती है , वह है :-
१. जनसंख्या विस्फोट - इसके
कारण गाँव स्तर पर रोजगार घटे हैं । यह आबादी बम धीरे
धीरे एक सर्वव्यापी राष्ट्रीय समस्या बन गयी है ।
२. कृषि भूमि का घटना - यदि आप गौर करेंगे तो पायेंगे की आज
लोग किसानी करना पसंद नहीं करते । कारण तो बहुत सारे हैं, पर मुख्य कारणों को देखें तो किसानी में मेहनत
अधिक , लागत मूल्यों में
वृद्धि और मौसम की बेरुखी । इसके कारण छोटे किसान अपने खेत
बेचकर रोजगार के लिये गावों से पलायन कर जाते हैं । आज आप पायेंगें की कृषि भूमि
क्रमशः घट रही है और नए नए कालोनियों का जाल बनता जा रहा है ।
३. सरकारी निति – सरकार ने अपने नागरिकों के लिए बहुत सारी कल्याणकारी योजनायें चला रखी है , जिसमें अत्यंत कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाता है। इसके चलते खाने-पीने की समस्या कम रह जाती है, अतः रोजगार और बेहतर अवसरों की तलाश के चलते एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे मजदूरों की भी हैं, जिन्हें अस्थायी या मौसमी पलायन करने वालों की श्रेणी में रखा जा सकता है ।
३. सरकारी निति – सरकार ने अपने नागरिकों के लिए बहुत सारी कल्याणकारी योजनायें चला रखी है , जिसमें अत्यंत कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाता है। इसके चलते खाने-पीने की समस्या कम रह जाती है, अतः रोजगार और बेहतर अवसरों की तलाश के चलते एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे मजदूरों की भी हैं, जिन्हें अस्थायी या मौसमी पलायन करने वालों की श्रेणी में रखा जा सकता है ।
४. राजनीती – आज गाँव गाँव
में राजनीती हर गली मोहल्ले में इस कदर पांव पसार चुकी है की, आये दिन झगडा-झंझट ,
मारपीट , लूटपाट , हत्या , आगजनी इत्यादि बढ़ गया है , इसके चलते बहुत सारे निम्न
लोग शहरों का रुख कर लेते हैं , जिससे शांति पूर्वक जीवन यापन कर सके ।
५. ग्रामीण उद्योगों की कमी – आज भी ग्रामीण स्तर पर उद्योगों की बहुत कमी है । अधिकतर छोटे बड़े उद्योग शहरों की सीमाओं से सटे हुए या औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित हैं या हो रहें हैं । आज भी बाहरी उद्योग गाँव से आये हुए मजदूरों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ये स्थानीय मजदूरों से कम मेहनताना पर काम लेते हैं तथा ये प्रवासी मजदूर नेतागिरी या आन्दोलन नहीं करते क्योंकि ये मजबूर होते हैं घर छोड़कर जो आये रहते हैं ।
६. मूलभूत सुविधाओं की कमी – आज भी ग्रामीण स्तर पर मूलभूत सुविधाओं की अत्यंत कमी है ; चाहे वो पक्की सड़क हो , स्वच्छ पानी की उपलब्धता हो , २४ घंटे बिजली आपूर्ति की हो या , उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा हो या , उच्च शिक्षा की उपलब्धता हो या परिवहन की उपलब्धता हो । इन कारणों से भी मजदूर वर्ग शहरों की और पलायन करती है ।
७. जाती भेद – बहुतों दूरस्थ गाँव में आज भी जातिगत व्यस्था बनी हुई है जिसके चलते अधिकता बहुल जातियों की दबंगई , शोषण , प्रताड़ना , अपमान के भय से भी मजदूर वर्ग अमन चैन तलाश के कारण पलायन कर जाते हैं ।
८. शहरी चकाचौंध – यह भी एक बहुत बड़ा कारण है गाँव से पलायन का । पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि “शहरों को गांवों में ले जाकर ही ग्रामीण पलायन पर रोक लगाई जा सकती है।”
उपरोक्त कारणों से मजदूरों का पलायान सर्वकालिक रहा है । इसमें कमी लाने के लिए चल रहे एवं नए सरकारी योजनाओं को बनाना या संसोधन करना होगा एवं पूर्णतया अमल में लाना होगा । प्रशासन एवं ग्राम पंचायत स्तर तक इसका समुचित पालन करवाना होगा , जिससे पलायन को कम किया जा सके । इसके साथ ही पंचायत स्तर पर उन सब परिवार का, जो स्थायी तौर पर या मौसमी पलायन करते हैं उसका पूर्ण विवरण कारण सहित रखना होगा यथा प्रवास स्थल की सम्पूर्ण जानकारी ।
आज यदि सरकार को इन प्रवासी मजदूरों को इस भयावह महामारी कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक एवं भोजन की कमी के चलते गाँव वापस लाने में देर हुई है तो, इसका मूल कारण इन मजदूरों का लेखा जोखा पंचायत / जिला या राज्यस्तर पर जानकारी उपलब्ध न होना भी है ।
भविष्य के लिए शासन को उन प्रत्येक ग्रामीण स्तर पर योजना बनानी होगी, जिससे पलायन दर न्यूनतम हो और राज्य के सभी ग्रामों का चहुँमुखी विकास हो । .................................अशोकानंद
५. ग्रामीण उद्योगों की कमी – आज भी ग्रामीण स्तर पर उद्योगों की बहुत कमी है । अधिकतर छोटे बड़े उद्योग शहरों की सीमाओं से सटे हुए या औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित हैं या हो रहें हैं । आज भी बाहरी उद्योग गाँव से आये हुए मजदूरों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ये स्थानीय मजदूरों से कम मेहनताना पर काम लेते हैं तथा ये प्रवासी मजदूर नेतागिरी या आन्दोलन नहीं करते क्योंकि ये मजबूर होते हैं घर छोड़कर जो आये रहते हैं ।
६. मूलभूत सुविधाओं की कमी – आज भी ग्रामीण स्तर पर मूलभूत सुविधाओं की अत्यंत कमी है ; चाहे वो पक्की सड़क हो , स्वच्छ पानी की उपलब्धता हो , २४ घंटे बिजली आपूर्ति की हो या , उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा हो या , उच्च शिक्षा की उपलब्धता हो या परिवहन की उपलब्धता हो । इन कारणों से भी मजदूर वर्ग शहरों की और पलायन करती है ।
७. जाती भेद – बहुतों दूरस्थ गाँव में आज भी जातिगत व्यस्था बनी हुई है जिसके चलते अधिकता बहुल जातियों की दबंगई , शोषण , प्रताड़ना , अपमान के भय से भी मजदूर वर्ग अमन चैन तलाश के कारण पलायन कर जाते हैं ।
८. शहरी चकाचौंध – यह भी एक बहुत बड़ा कारण है गाँव से पलायन का । पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि “शहरों को गांवों में ले जाकर ही ग्रामीण पलायन पर रोक लगाई जा सकती है।”
उपरोक्त कारणों से मजदूरों का पलायान सर्वकालिक रहा है । इसमें कमी लाने के लिए चल रहे एवं नए सरकारी योजनाओं को बनाना या संसोधन करना होगा एवं पूर्णतया अमल में लाना होगा । प्रशासन एवं ग्राम पंचायत स्तर तक इसका समुचित पालन करवाना होगा , जिससे पलायन को कम किया जा सके । इसके साथ ही पंचायत स्तर पर उन सब परिवार का, जो स्थायी तौर पर या मौसमी पलायन करते हैं उसका पूर्ण विवरण कारण सहित रखना होगा यथा प्रवास स्थल की सम्पूर्ण जानकारी ।
आज यदि सरकार को इन प्रवासी मजदूरों को इस भयावह महामारी कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक एवं भोजन की कमी के चलते गाँव वापस लाने में देर हुई है तो, इसका मूल कारण इन मजदूरों का लेखा जोखा पंचायत / जिला या राज्यस्तर पर जानकारी उपलब्ध न होना भी है ।
भविष्य के लिए शासन को उन प्रत्येक ग्रामीण स्तर पर योजना बनानी होगी, जिससे पलायन दर न्यूनतम हो और राज्य के सभी ग्रामों का चहुँमुखी विकास हो । .................................अशोकानंद
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